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भारतीय गांवों का विकास एक नजर

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indian village history

नई दिल्ली। गांव (village) वह मानव बस्तियों की छोटी इकाई होती हैं जहां पर थोड़े से लोगों (people) से लेकर हजारों की संख्या में लोग बस्तें हैं। अगर हम मारवाडी भाषा में इसका अर्थ ढूंढे तो इसे गोम कहते हैं। देखने में आया है कि गांव के निवासी ज्यादातर कृषि या फिर पशु पालन करते हैं। गांव में घरों का निर्माण अव्यवस्थित तरीके से होता हैं। अगर सुविधाओं की बात की जाए तो गावों में शहरों की अपेक्षा कम सुविधाएं होती हैं। चाहे वह शिक्षा हो या फिर रोजगार या फिर स्वास्थ्य सभी प्रकार की सुविधाएं शहरों के मुकाबले काफी कम मात्रा में प्राप्त होती हैं।
भारत की आधी से ज्यादा आबादी गांवों में निवास करती हैं। अगर भारतीय समाज के परिपेक्षय में देखा जाए तो भारत भी दो परिप्रेक्ष्‍य में बंटा हुआ हैं । एक ग्रामीण परिवेश दूसरा शहरी परिवेश। भारत में गांवों का अस्तित्व वैदिक युग के दौरान या फिर कहें कि मौर्य के शोसनकाल के दौरान देखने को मिलता हैं। मौर्य राजवंश ३२३ ई पूर्व के दौरान राजा चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा स्थापित किया गया। उस समय भारतीय सामाजिक व्यवस्था राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। समय के साथ साथ जब भारत में मुगलों का अगमन हुआ ततो भारतीय गांवों का सामाजिक रूप काफी बदल गया। लेकिन फिर भी ग्रामीण परिवेश में एक प्रकार की जमीनी जुड़ाव देखा गया जहां मुस्लिम व हिन्दू संस्कृति की मिलावट व भाईचारा देखा जाता रहा। लेकिन समय के साथ साथ जब भारत में ब्रिटिश का आगम हुआ तो भारतीय ग्रामीण परिवेश ने तेजी से आधुनिकता को अपनाना शुरू कर दिया। गांवों में ट्रेनों और अन्य ऑटोमोबाइल आदि शाुरू होने से भारतीय गांवों की परिवहन व्यवस्था में तेजी से विकास हुआ जिसका असर गांवों के निवासियों के जीवन में भी देखा जा सकता था। ब्रिटिश काल के दौरान ही भारतीय ग्रामीण परिवेश राजनीतिक रूप से भी जागरूक होनेे लगा जिससे उनकी सहभागिता राजनीति में बढऩे लगी। काफी लंबे समय से कृषि पर निर्भर करने वाले ग्रामीण लोग ब्रिटिश काल आने के पश्चात कुछ कुछ उद्योगों की तरफ आकर्षित होने लगे। हालांकि इनकी संख्या काफी कम थी लेकिन लोगों में जागरूकता बढऩे लगी। यातायात की व्यवस्था होने से लोगों ने रोजगार के लिए गांवों से शहरों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया। ब्रिटिश काल से पहले शिक्षा पर ब्राह्मण का कब्जा था लेकिन लोगों में जागरूकता बढऩे से अन्य वर्ग भी शिक्षा के लिए प्रयास करने लगा जो कि बहुत बड़ा परिवर्तन था भारतीय समाज में । वहीं से भारतीय समाज में बदलाव की शुरूआत हुई जो कि आज भारतीय गांवों को आज लगभग एक छोटे कस्बे के रूप में लाकर हमारे सामने खड़ा कर दिया हैं।

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