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Love story रब सानू मेल दिता हूण कभी भी ना बिछडा गे, इन शब्दों में पाकिस्तान के मुलतान निवासी मुखतार अहमद और शाहीन अखतर की प्रेम Love story कहानी बया होती है। पत्नी का मानसिक संतुलन खोने पर लोगों ने कहा कि दूसरी शादी कर लो लेकिन मुखतार अहमद ने हमेशा अपनी पत्नी का साथ दिया। शाहीन अखतर का कई बार मिस कैरिज हुआ । जिसके कारण समय के साथ साथ शाहीन अखतर की तबीयत खराब रहने लगी ओर जब आखिरी बार उनका मिसकैरिज हुआ तो शाहीन अखतर ने अपना मानसिक संतुलन खोने लगी जिसके बाद मुखतार अहमद ने अपनी नौकरी सब छोड़ कर शाहीन की देखभाल में जुट गए। Love story
शाहीन अखतर को हमेशा रखते है अपने साथ मुखतार अहमद
मुखतार अहमद का मानना है कि दुख और सुख जिंदगी में आते रहते है लेकिन जीवन में ऐसा नहीं होता कि कोई भी तकलीफ आए ओर हम अपनी पत्नी का साथ छोड़ दे। बीवी का साथ हमने हर सफर के लिए पकड़ा है वो चाहे सुख हो या फिर दुख। मुखतार अहमद और शाहीन अखतर की शादी हुई थी जिसके बाद कराची चले आए। वहां वर्कशाप पर काम करते थे अच्छा खासा कमा लेते थे गुजारा सही चल रहा था लेकिन हर बार प्रेग्रेंसी के दौरान मिस कैरेज हो जाता था जिसने शाहीन अखतर को शारीरिक तौर पर तो कमजोर किया ही लेकिन मानिसक तौर पर भी काफी हानि पहुंचाई। समय का पहिया चलता रहा लेकिन जब आखिर बार मिस कैरेज हुए तो वह शाहीन अखतर के साथ नौंवी बार था। हर बार छठे महीने के आस पास मिस कैरेज होता था लेकिन इस बार नौ महीने चार दिन पर मिस कैरेज हुआ जिसने शाहीन अखतर को बहुत बड़ी मानसिक क्षति पहुंचाई। जिसके कारण वो अपना मानसिक संतुलन खोने लगी। और शारीरिक रूप से भी काफी बीमार हो गई। जिसके बाद शाहीन अखतर को हमेशा रखते है अपने साथ मुखतार अहमद।
शाहीन मुखतार के बिना नहीं रह सकती
मुखतार का मनना है कि शाहीन को घर पर रखने की बात करना वैसे ही है जैसे सूरज को इधर से नहीं उधर से निकलने को कहना। क्योंकि शाहीन मुखतार के बिना नहीं रह सकती। बच्चों की चिंता ने उन्हें मानसिक संतुलन और शारीरिक संतुलन बिगाड़ कर रख दिया। जिसके बाद मुखतार ने हमेशा ही उनका खयाल रखा। कभी रोटी देना तो कभी दवाई देना, कभी तेल लगाना तो कभी कंघा करना, सूरमा लगाना, कपड़े धोना, खाना पकाना। एक मर्द होते हुए मुखतार ने एक औरत का निरदार निभाते हुए हमेशा शाहीन की खिदमत की।
दोनों गाय भैंसों वाली जगह पर रहते हैं
मुखतार और शाहीन दोनों गाय भैंसों वाली जगह पर रहते हैं। उसके अंदर एक कमरा है उसी कमरे में दोनों सोते थे लेकिन एक साल पहले इस कमरे की छत भी गिर गई जिसके बाद दोनों कमरे के बाहर ही खुले में सोते हैं। दो खाट है एक पर सामान रखा रहता है तो दूसरी खाट पर दोनों सो जाते हैं। जब कभी बारिश आ जाती है तो अपने ऊपर कोई छप्पर ले लेते हैं। दोनों कपड़े पहन कर ही नहाते है क्योंकि कपड़े उतारने की उनके पास कोई जगह नहीं हैं।
मुखतार अहमद अब रिक्शा चलाते है
मुखतार अहमद अब रिक्शा चलाते है। शाहीन अखतर भी हमेशा उनके साथ रहती हैं।शाहीन की तबियत कब खराब हो जाए पता नहीं चलता जिसके कारण मुखतार को हम वक्त उनके साथ रहना पड़ता है। रिक्शा लेने के कारण अब शाहीद और अहमद साथ रहते है और रोजगार भी चलता रहता हैं। सुबह होटल पर से नाश्ते के लिए एक प्लेट लेकर दोनों खाना खा लेते हैं जिसके बाद दोनों ११-१२ बजे के आसपास निकलते है। अगर उनका खर्चा ३०० रुपए है तो ४०० रुपए कमा कर वापस घर आ जाते हैं।
शाहीन ओर मुखतार को को मोहब्बत करते हैं
लोग हमेशा शाहीन को मुखतार के रिक्शे पर बैठा देखते है तो बोलते है कि क्यों लेकर आया है। जबकि जो कम पढे लिखे होते हैं वो सोचते हैं कि यह बीमार हैं, वो इने साथ बैठने से इंकार कर देते हैं जबकि जो पढ़े-लिखे होते हैं वो शाहीन ओर मुखतार से मोहब्बत करते हैं। उनकी परिस्थितयों को समझते हैं। मुखतार के माता-पिता, दोस्त, यार और रिश्तेदार कहते थे कि कहीं और शादी कर लो, लेकिन मुखतार का मानना है कि जब अल्लाह ने मुझे लाखों में एक बीवी दी है तो फिर दूसरी शादी क्यों करू। मुखतार की बस एक ख्वाहिश है कि उसके मकान की छत बन जाए ताकि शाहीन आराम से रह सकें। अगर शाहीन खुश नहीं रहेगी तो मुखतार भी खुश नहीं रहेंगा।