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राजस्थान के सीकर जिले के जाट भाई की एक सच्ची प्रेम कहानी love story
राजेश (काल्पनिक नाम) है। यह कहानी राजेश की love story है। राजेश राजस्थान के सीकर जिले से हूं। 24 मार्च 2013 को मुईनुद्दीन चिस्ती के शहर अजमेर में मेरी जेलपहरी की परीक्षा थी। मैं और मेरा बड़ा भाई जो मुझ से एक बरस ही बड़ा है । दोनों ने परीक्षा दी और हम ट्रेन से अजमेर से अगले स्टेशन फुलेरा के लिए रवाना हुए ।
हमने अगले स्टेशन फुलेरा में ट्रेन बदली मेरे शहर सीकर के लिए। परीक्षा थी इस कारण ट्रेन पूरी तरह भरी हुई थी। ज़्यादातर ट्रेन में लड़के ही थे। मेरे ट्रेन के डिब्बे में चार लड़कियाँ आकर बैठ गई। मैं और मेरा भाई ट्रेन कि ऊपर की बर्थ पर बैठे थे। मेरी लड़कियों को घूरने की आदत नहीं इसलिए में अपने कानों में इयर फोन डाल के मेरे फोन NOKIA N72 में गाने सुन रहा था। love story
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ट्रेन के डिब्बे में काफ़ी हल्ला हो रहा था क्योंकि ट्रेन लड़कों से भरी हुई थी और ट्रेन के डिब्बे में चार लड़कियाँ हो और लड़के हो हल्ला ना करें यह हो ही नहीं सकता इसलिए मैंने सोचा इनकी फ़ालतू की बातें सुनने से अच्छा इयर फोन लगाके गाने सुन लूँ ।
लेकिन एक लड़की जो आँखों पे चश्मा लगाये ठीक मेरे सामने नीचे की सीट पर बैठीं थी लगातार मुझे घूरे जा रही थी । मैंं अपनी मस्ती में था मुझे नहीं पता वो मुझे घूर रही हैं । मेरा भाई जो मेरे पास ही बैठा था उसने मुझे धीरे से कोहनी मारी और कहा नीचे देख वो लड़की जब से आकर बैठी है तुझे ही देख रही हैं । और सारे डिब्बे के लड़के उसे देख रहे हैं।
मैंने जब उसे पहली बार देखा वो एक टक होकर मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी मैंने भी उसे एकटक होकर देखने की कोशिश की लेकिन में भोला शर्मिला छोरा ज़्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पाया।
लेकिन में बार-बार उसे देख रहा था। कुछ समय बाद में उसने इशारे में नम्बर माँगे। मेरा दिल उस समय एक मिनट में जैसे 120 बार धड़क रहा हो ऐसा प्रतीत हो रहा था।
मैंं सोच रहा था कि इसे नम्बर कैसे दूँ। साथ में बैठी लड़कियों को पता चल जाएगा ट्रेन में बैठे लड़कों को पता चल जाएगा तो क्या होगा लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी पिछली ट्रेन जिससे में आया था उसकी टिकट मेरी ऊपरी जेब में थी । एग्ज़ाम देकर आया था इसलिए पेन तो था ही मेरे पास । मैंने टिकट के पीछे जहां नम्बर लिखने का कॉलम भी होता हैं ।
उसमे नम्बर लिखे और उस टिकट को गोल कर के उसकी तरफ़ देखने लगा कि कब वो मुझे इशारा करे ओर मैं उसकी ओर टिकट पर लिख नम्बर फैंक सकूं। इस दौरान मैं बुरी तरह कांप रहा था। लेकिन जैसे ही उसने मुझे इशारा किया मैंने तुरंत ही टिकट को उसकी ओर फैंक दिया ओर उसने भी जल्दी से टिकट उठा कर अपने पर्स में रख लिया।
लेकिन इस दौरान ट्रेन में बैठे कुछ लड़के मुझे टिकट फैंकते देख लिया। अब इसके बाद हल्ला ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता तो पूरी ट्रेन में लड़कों ने हल्ला मचाना शुरू कर दिया लेकिन गनीमत रही के थोड़ी देर बाद उस लड़की का स्टेशन आ गया। उसने मुझे ट्रेन से उतरते हुए मुस्कराते हुए देखा ओर ट्रेन से उतर गई। लड़के अब भी तरह तरह के कमेंट्स कर रहे थे। मैं बहुत खुश था।
उसी शाम को मैं अपने घर पहुंच गया। उसी शाम को 7 बजे के आस पास उसका फोन आया मैं तो इसी इंतजार में था जैसे ही मैंने अनजाना नंबर देखा मेरी धड़कने बहुत बढ गई जैसे ही मैंने फोन उठाया तो दूसरी ओर एक लड़की की आवाज आई। उसने अपना नाम राबिया बताया। वो मुस्लिम थी और मैं हिन्दू जाट। लेकिन कहते है ना प्यार में सब जायज है।
लेकिन मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरा नम्बर एक लड़की ने मांगा लेकिन फिर अचानक उसे सवाल किया आपने उन लड़कों को हो हल्ला करने से क्यों नहीं रोका ? मेरा जवाब था क्या वो मेरे कहने से रूक जाते । लेकिन मेरे इस जवाब से वह असंतुष्ट दिखी।
उस दिन कुछ ज्यादा बाते नहीं हुई बस क्या करते हो, पेपर कैसा रहा भविष्य में क्या करने का प्लान है नॉर्मल बाते हुई ओर फोन रख दिया गया। उस दिन के बाद फिर उसका एक हफ्ते के बाद कॉल आया। मैंने इस बार हैलो बोलते ही मैंने सवाल किया इतने दिन फोन क्यों नहीं किया।
लेकिन उधर से जो जवाब आया मैं उसके लिए तैयार नहीं था ओर ना ही मुझे आशा थी। उसने एक क्षण के मौन के बाद जवाब दिया मेरी शादी थी। इस बार मौन होने की बारी मेरी थी। उसने बताया कि जब ट्रेन में मुलाकात हुई तो वह अपनी बहनों के साथ शादी की शॉपिंक करने के लिए गए हुए थे।
उसकी बाते सुन कर मैंने उससे पूछा तुम्हारी शादी थी तो मुझ से फोन नम्बर क्यों लिया। क्या तुम मुझ से प्यार करने लगी थी। उसका जवाब था। शादी-शादी होती है और प्यार प्यार।
फिर मेरी ओर उसकी प्रेम कहानी कभी मोबाईल से आगे नहीं बढ़ पाई उस दिन के बाद लगभग तीन महीने के बाद उसका फोन फिर आया उसने बताया कि वह अपनी ससुराल भीलवाड़ा जा रही है। मेरे शहर से लगभग 4०० किलोमीटर दूर। फिर उसके बाद हमारी कभी बात नहीं हुई।
मैं अब भी सोचता हूं कि आखिर वह क्या था। क्या सच है कि आखिर प्यार प्यार love होता है ओर शादी शादी।
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