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जाट समाज ने महाराजा सूरजमल को की श्रद्धांजलि अर्पित

  • महाराजा सूरजमल ऐसे कुशल नेतृत्व करने वाले राजा थे जिनके एक आह्वान पर किसान भी अपने हथियार लेकर युद्ध के मैदान मे सेना के साथ खड़े हो जाते थे – बाबा परमेन्द्र आर्य

आज गांव रोरी मे अखाड़ा महाराजा सूरजमल द्वारा भरतपुर नरेश महाराजा सूरजमल जी की 315वी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सभा का आयोजन किया गया। सबसे पहले यज्ञ हवन किया गया फिर सभी ने महाराजा सूरजमल जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किये।

बाबा परमेन्द्र आर्य ने अपने सम्बोधन में कहा महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 में हुआ था। इस्लामिक आक्रमणकारियों को मुंह तोड़ जवाब देने में उत्तर भारत में जिन राजाओं का विशेष स्थान रहा है, उनमें महाराजा सूरजमल का नाम बड़े ही गौरव के साथ लिया जाता है।
हिन्दू ह्रदय सम्राट महाराजा सूरजमल अठारहवीं सदी के भारत का निर्माण करने वाले प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे।

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उनके जन्म ऐसे समय में हुआ जब दिल्ली की राजनीति में भारी उथल-पुथल हो रही थी और देश विनाशकारी शक्तियों की जकड़न में था। विदेशी लुटेरों नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली ने उत्तर भारत में बहुत बड़ी संख्या में हिन्दुओं को मार डालने के साथ उनके तीर्थों-मंदिरों को भी नष्ट कर दिया था। और यहां से हिन्दूओं की बहन-बेटियों को बंदी बनाकर अपने देश ले जाते थे। इन बर्बर आक्रांताओं को रोकने वाला कोई नहीं था। उस समय मुगल, न तो दिल्ली का तख्त छोड़ते थे और न अफगानिस्तान से आने वाले आक्रांताओं को रोक पाते थे। ऐसे अंधकार में महाराजा सूरजमल हिन्दू धर्म रक्षक के रूप में प्रकट हुए।

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राम नारायण आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा महाराजा सूरजमल जी आपने समय के उत्तर भारत के सबसे शक्तिशाली राजाओं में गिने जाते थे। उन्होंने अपने पराक्रम और कूटनीति से भरतपुर रियासत की स्थापना की। उनके राज्य में सभी जातियों को एक समान देखा जाता था। उनके शासन में किसान, कास्तकार , साहुकार , विद्वान सभी सुरक्षित व खुशहाल थे। महाराजा सूरजमल एक किसान परिवार से थे।

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उनका खेती बाड़ी से बहुत अधिक लगाव था। उन्होंने अपने राज्य में गांव गांव कुस्ती अखाड़े खुल वाये। वे स्वयम एक बहुत बड़े पहलवान थे। उन्होंने डींग के अपने जल महल में भी भव्य कुस्ती अखाड़ा बनवाया था। जो आज भी पुरातत्व विभाग की देखरेख में सुरक्षित है। उनके द्वारा किए गए सभी महान कार्यों को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है। ताकि आने वाली पीढ़ी उनके दिखाए रास्ते पर चल कर देश व समाज की सेवा कर सकें।

इस अवसर राम महेर चौधरी, मनोज चौधरी, कल्याण सिंह, गंगाराम श्यौराण, संदीप श्यौराण, सुरेश कलकल, ओमकारी, सरोज देवी, चंचल चौधरी, स्वाती आदि उपस्थित रहे।

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