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यूपी चुनाव में कितने जाट विधायकों ने जीत हासिल की ?

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यूपी में हाल ही में हुए चुनाव में भारी संख्या में जाट प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। हमारी जानकारी के अनुसार 17 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। आज हम आपको बताने जा रहे है यूपी चुनाव में कितने जाट विधायक बने जीत हासिल की और किस पार्टी से व कितने अंतर से जीत हासिल की और किस पार्टी के प्रत्याशी को हराया।

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जाट विधायक- राजपाल बालियान ने बुढाना ( मुजफ्फरनगर) सीट से रालोद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की

राजपाल बालियान मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना सीट से रालोद प्रत्याशी के तौर पर विधायक का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। राजपाल बालियान ने सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है।

उन्होंने भाजपा के उमेश मलिक को 28 हजार 310 मतो से हराया। बालियान को 131093 और उमेश मलिक को 102783 मत मिले।

पंकज मलिक ने चरथावल (मुजफ्फरनगर) सीट से गठबंध प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की

चरथावल विधानसभा सीट से गठबंधन कोटे से सपा प्रत्याशी पंकज मलिक ने कांटे के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी सपना कश्यप को शिकस्त दी है। पंकज मलिक को 97,363 और सपना कश्यप को 92,029 मत मिले हैं।

पांच साल पहले इस सीट से दिवंगत पूर्व राज्यमंत्री विजय कश्यप ने 22 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। लंबे समय बाद यह सीट सपा के खाते में गई है। पंकज मलिक की जीत का आधार मुस्लिम और जाट मत रहे।
पंकज मलिक तीसरी बार विधायक बने हैं। इससे पूर्व वह शामली और बघरा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं।

जाट विधायक – दल बदलकर चुनाव लड़े प्रसन्न चौधरी ने शामली से रालोद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की।

जिले में दल बदलकर शामली सीट से विधानसभा चुनाव लडऩे वाले रालोद गठबंधन प्रत्याशी प्रसन्न चौधरी को जनता का आशीर्वाद मिला है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी एवं विधायक तेजेंद्र निर्वाल को हराया और 7107 ज्यादा वोट से अपनी जीत दर्ज कराई। चुनाव से कुछ समय पहले ही प्रसन्न चौधरी भाजपा छोड़कर रालोद में शामिल हुए थे।

रालोद-सपा गठबंधन ने प्रसन्न चौधरी को शामली सीट पर प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़ाया।

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अजय कुमार ने छपरौली (बागपत) से रालोद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की

रालोद का गढ़ यानी छपरौली विधानसभा सीट पर रालोद की विजय पताका फिर लहराई। रालोद के डॉ. अजय कुमार ने भाजपा के सहेन्द्र सिंह को हराकर जीत का का परचम लहराया। जाट बहुल छपरौली सीट पर किसान आंदोलन का विरोध साफ नजर आया। जाट व मुस्लिम गठजोड़ जीत में अहम रहा। भाजपा का विकास का मुद्दा हार गया।
छपरौली विधानसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व उनके परिवार का खासा असर रहा है। जाट बहुल छपरौली विधानसभा सीट पर रालोद कभी हारी नहीं। चौधरी चरण सिंह इस सीट से 1974 तक हुए विधानसभा चुनाव में विधायक निर्वाचित हुए थे और इसी सीट पर विधायक रहते हुए प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने। इस सीट से उनके पुत्र अजित सिंह व पुत्री सरोज बाला भी एक-एक बार विधायक निर्वाचित हुए थे।

कृष्णपाल मलिक ने बडौत ( बागपत) से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की।

बड़ौत विधानसभा सीट पर विधायक कृष्णपाल मलिक लगातार दूसरी बार बड़ौत विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर विधायक बने।

बड़ौत विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी कृष्णपाल मलिक ने रालोद के जयवीर सिंह तोमर को हराकर जीत हासिल की।

योगेश धामा ने बागपत से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की

बागपत विधानसभा सीट पर रालोद के हमीद को परास्त कर भाजपा के योगेश धामा ने दर्ज की जीत
धामा भाजपा से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कराने में सफल रहे हैं। किसान आंदोलन और रालोद सपा गठबंधन के चलते भाजपा के प्रत्याशी विधायक योगेश धामा की अबकी बार राह कठिन मानी जा रही थी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ है, क्योंकि उन्होंने शानदार जीत दर्ज कराई है।

योगेश धामा भाजपा के टिकट पर लगातार दूसरी बार जीते हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उनका मुकाबला अहमद हमीद से था।
दरअसल धामा इस क्षेत्र में वर्ष 2005 से जिला पंचायत की राजनीति कर रहे हैं और यहां उनकी अच्छी पकड़ है जो अब विधानसभा चुनाव के परिणाम से साबित हो गया कि यहां के मतदाताओं पर उनकी पकड़ कमजोर होने के बजाय और मजबूत हुई।

जिस तरह किसान आंदोलन और जाटों का रालोद-सपा गठबंधन के पक्ष में जाने की बात कही जाती रही उससे लग रहा था कि अबकी बार धामा की जीत की राह कतई आसान नहीं है। इसके बावजूद धामा ने विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व को जिस तरह धार देकर मैदान में ताल ठोकी वह उनके जीत का बड़ा कारण बनी।

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बिजनौर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी सूची चौधरी जीत हासिल कर बनी विधायक

बिजनौर विधानसभा सीट पर पिछली बार 27281 मतों के भारी अंतर से जीतने वाली भाजपा की सुचि चौधरी को इस बार कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा। आखिरकार 1445 मतों के अंतर से निकटतम प्रतिद्वंदी रालोद के डॉ. नीरज चौधरी को पराजित कर उन्होंने जीत दर्ज कराई। बसपा की रुचि वीरा तीसरे स्थान पर रहीं।

जाट विधायक- स्वामी ओमवेश ने बिजनौर के चांदपुर से सपा प्रत्याशी के तौर पर भाजपा की कमलेश सैनी को हराया

चांदपुर विधानसभा में भाजपा की कमलेश सैनी और गठबंधन में सपा प्रत्याशी स्वामी ओमवेश के बीच कड़ी टक्कर रही। मुकाबला बेहद नजदीक होने के चलते दोनों प्रत्याशियों की आपत्तियों के कारण परिणाम काफी देर तक रुका रहा। बाद में सबकुछ स्थिति साफ होने पर स्वामी ओमवेश 234 मतों से जीत हासिल करने में कामयाब रहे। यहां बसपा के शकील हाशमी तीसरे नंबर पर रहे।

मंजू सिवाच ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर गाजियाबाद की मोदीनगर सीट से जीत हासिल की

मोदीनगर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मंजू सिवाच ने भाजपा का परचम लहराया है। मंजू ने भारी मतों से जीत दर्ज कर एक और सीट भाजपा के दामन में डाल दी है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदीनगर विधानसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. मंजू सिवाच ने जीत दर्ज की थी।

हरेन्द्र तेवतिया ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर गढ़मुक्तेशवर से बने विधायक

हापुड़ जनपद की सभी सीटों पर भाजपा ने अपनी जीत का परचम लहरा दिया है। गढ़मुक्तेशवर विधानसभा सीट से भाजपा से हरेंद्र सिंह प्रमुख को 20 हजार से अधिक वोटों से जीत मिली है। दरअसल, किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों को लुभाने के लिए भाजपा ने जाटा कार्ड खेलते हुए हरेंद्र प्रमुख को मैदान में उतारा था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह की जन्मस्थली गांव नूरपुर निवासी हरेंद्र सिंह तेवतिया (प्रमुख) को पार्टी ने गढ़ विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था।
हरेंद्र सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के रिश्ते में पोते लगते हैं। पार्टी ने वर्तमान विधायक डा. कमल मलिक का टिकट काटा है। बता दें कि हरेंद्र सिंह पूर्व जिला पंचायत सदस्य भी हैं।

बुलंदशहर से प्रदीप चौधरी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीता चुनाव

विधानसभा चुनाव 2022 में सदर सीट पर एक बार फिर से भाजपा प्रत्याशी ने अपना कब्जा जमाया है। सदर सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी ने रालोद प्रत्याशी हाजी यूनुस को कड़े मुकाबले में शिकस्त दी है। प्रदीप चौधरी हाजी यूनुस को 25830 वोटों से हराकर सदर सीट से विधायक बने हैं। विधायक बनने से पहले प्रदीप चौधरी ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया।

भाजपा ने छाता (मथुरा) से चौधरी लक्ष्मी नारायण पर जताया था भरोसा, जीत मिली

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी में छाता विधानसभा पर भाजपा प्रत्याशी चौधरी लक्ष्मीनारायण ने वर्षों पुराने उस रिकार्ड को तोड़ दिया है, जिसमें किसी भी दल के प्रत्याशी को दोबारा जीतने का मौका मिला हो। चौधरी लक्ष्मीनारायण ने इस विधानसभा से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है।

छाता विधानसभा सीट से रालोद ने तेजपाल सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। इस सीट पर जाटों की बहुलता है जिसकी वजह से इस बार जाति समीकरण के लिहाज से रालोद और सपा का गठबंधन मजबूत स्थिति में थी, हालांकि इसे जीत नहीं मिल सकी।

जाट विधायक लक्ष्मी नारायण चौधरी को विधानसभा चुनाव में 124414 वोट मिले तो वहीं आरएलडी प्रत्याशी 75466 सीटें ही जीत सके। बीएसपी के सोनपाल 30214 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की पूनम देवी 1481 वोट ही हासिल कर सकीं. मथुरा की छाता विधानसभा सीट पर एक बार फिर यूपी सरकार में मंत्री और बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मी नारायण चौधरी का कब्जा हो गया है. सपा गठबंधन प्रत्याशी तेजपाल सिंह दूसरे नंबर पर थे।

मथुरा की मांट सीट पर आठ बार के विधायक को शिकस्त देकर राजेश चौधरी ने जमाया अपना कब्जा

मोदी लहर में भी अजेय रहने वाले राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले श्यामसुंदर शर्मा की किलेबंदी योगी लहर में टूट गई। भाजपा के राजेश चौधरी ने आठ बार के विधायक को पटखनी देकर मांट विधानसभा में इतिहास रचकर कमल खिला दिया। भाजपा नेतृत्व के विश्वास पर खरा उतरे राजेश ने यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी है। जाट विधायक

श्याम सुंदर शर्मा मांट सीट से 1989 से लगातार विधायक हैं। वह विभिन्न राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय भी जीतते रहे। अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर पूरे सूबे में रामलहर थी, लेकिन तब भी मांट विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्यामसुंदर शर्मा ने जीत दर्ज करके अपनी ताकत का एहसास कराया था।

उसके बाद से वह लगातार विधायक बनते रहे।
जाट बहुल मानी जाने वाली मांट विधानसभा सीट से पहली बार जाट प्रत्याशी राजेश चौधरी ने परचम लहराया है। 1952 व 57, 67 और 69 में लक्ष्मीरमण आचार्य, 1962,77 में राधेश्याम शर्मा (दोनों ब्राह्मण), 1974 में चंदन सिंह (ठाकुर), 1980 में लोकमणि शर्मा (ब्राह्मण), 1985 में कुशल पाल सिंह(ठाकुर), 89 से 2017 तक श्यामसुंदर शर्मा (ब्राह्मण) का कब्जा रहा। हालांकि जयंत चौधरी ने 2012 में जाट प्रत्याशी के रूप में जीत तो दर्ज की थी, लेकिन उन्होंने विधानसभा नहीं पहुंचने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। जाट विधायक

प्रदीप गुड्डू चौधरी ने हाथरस के सादाबाद सीट से रालोद प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की

मिनी छपरौली और आलू बेल्ट के रूप में मशहूर सादाबाद सीट पर परिणाम चौंकाने वाले रहे। 15 साल बाद रालोद का वनवास खत्म हुआ। भाजपा की रणनीति को पछाड़ते हुए रालोद के प्रत्याशी प्रदीप चौधरी गुड्डू ने जनपद की राजनीति के स्तंभ रामवीर उपाध्याय को हराकर जीत का परचम लहराया।

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दुग्ध कारोबारी प्रदीप कुमार उर्फ गुड्डू चौधरी करीब डेढ़ दशक से रालोद के साथ अपने राजनीतिक सफर पर हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2015 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में बड़े अंतर से जीत दर्ज कर गुड्डू चौधरी राजनीति में उभरकर आए थे।

आगरा के फतेहपुर सीकरी से बाबूलाल चौधरी ने भाजपा को दिलाई जीत

चौधरी बाबूलाल फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। अब वह विधायकी को चुनाव जीते हैं। पिछले चुनाव में यहां से जाट विधायक भाजपा के चौधरी उदयभान ने जीत दर्ज की थी। आगरा के फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी चौधरी बाबूलाल 47011 वोटों से चुनाव जीत गए हैं।

बाबूलाल को 111519 वोट मिले हैं। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रालोद सपा गठबंधन के प्रत्याशी ब्रजेश चाहर को 64508 मत प्राप्त हुए। इस तरह चौधरी बाबूलाल ने सपा गठबंधन को 47011 मतों से हरा दिया। रिटर्निंग ऑफिसर ने चौधरी बाबूलाल को जीत का प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया है।

भाजपा प्रत्याशी बलदेव सिंह औलख ने रामपुर की बिलासपुर सीट से जीत हासिल की

रामपुर के पांच सीटों में से एक बिलासपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी बलदेव सिंह औलख ने जीत दर्ज की। वे शुरू से ही बढ़त बनाए हुए थे।

अमरोहा से नौगांव सादात से चौधरी समरपाल सिंह ने सपा प्रत्याशी के तौर पर जीते

नौगावां सादात विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी समरपाल सिंह व भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र नागपाल के बीच कांटे का मुकाबला रहा। हालांकि सपा प्रत्याशी समरपाल सिंह पहले राउंड से ही कई राउंड तक बढ़त बनाए रहे। जैसे-जैसे उनकी बढ़त का आंकड़ा बढ़ता गया वैसे-वैसे भाजपा प्रत्याशी जीत की दौड़ में पिछड़ते गए। हालांकि कुछ राउंड में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र नागपाल अपने प्रतिद्वंदी समरपाल सिंह से आगे भी रहे।
सपा प्रत्याशी ने 108497 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को 6540 वोट से हराया।

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