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नई दिल्ली। भावना जाट (tokyo olympics 2020) ने रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक (tokyo olympics 2020)का टिकट प्राप्त कर लिया है। भावना जाट ने यह सफलता आर्थिक तंगी से जूझते हुए प्राप्त की है जिसके कारण उनकी इस सफलता का महत्व और भी बढ़ जाता है।
खेल की तैयारी के लिए भावना जाट के पास पैसे भी नहीं थे जिसके बावजूद उनके पिता ने कर्जा लिया और भावना जाट की तैयारी करवाई।
भावना जाट ने भी अपनी सभी परेशानियों को दरकिनार करते हुए अपनी मेहनत से tokyo olympics 2020 का टिकट प्राप्त किया। भारत का यहीं दुर्भाग्य है कि जब कोई आगे बढना चाहता है तो सभी उसकी टांग खिंचने पर लगे रहते है लेकिन जब आगे बढ जाता है तो उसे आसमान पर बैठा देते है। ऐसी ही स्थिति भावना जाट के साथ हुई क्योंकि जब वह ओलंपिक की तैयार कर रही थी तो अपने अधिकारियों से छुट्टी मांगी लेकिन अधिकारियों ने छुट्टी देने से इंकार कर दिया जिसके बाद भावना जाट ने नौकरी करते हुए यह सफलता हासिल की है। भावना जाट की यह सफलता आने वाली सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा है। भावना जाट इस समय जयपुर के एथलेटिक ट्रेक पर अभ्यास कर रही हैं। भावना जाट ने यह कारनामा पैदल चाल में हासिल किया हैं।
tokyo olympics 2020- भीड़ में चमकने से पड़ी सब की नजर
कहते है कि भीड़ में पडे रहने पर किसी की नजर नहीं पड़ती लेकिन जब वह चमकता है तो सभी की नज उस पर पड़ती है कुछ इसी प्रकार से हुआ भावना जाट के साथ राजसमंद के रेलमगरा के छोटे से गांव की रहने वाली भावना ने हाल ही में रांची में हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में एक घंटे उन्नतीस मिनट और 54 सैंकड में 20 किलोमीटर पैदल चाल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर ओलंपिक का क्वालिफाई किया।
बीच में ही छोडनी पडी पढ़ाई
कहते है कि गरीबी किसी के भी सपनों को धूल में मिला सकती है लेकिन कुछ लोग होते है जो गरीबी से लडकर अपना मुकाम हालि करते हैं। उनमें से एक नाम भावना जाट का लिया जा सकता हैं। भावना जाट के लिए शुरूआत इतनी आसान नहीं थी। गरीबी के कारण बीच में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ी। पिता एक किसान है जिनके पास मात्र दो बीघा जमीन हैं। परिवार की हालत खराब होते हुए भावना ने खेल को महत्व दिया और परिवार ने उनके इस जुनून का साथ दिया। भावना े पिता ने अपी बेटी के खेल के लिए गांव के साहूकार से पांच लाख रुपए का कर्ज किया भावना जाट ने भी कभी अपने परिवार को निराश नहीं किया और हर कदम पर मेडल प्राप्त किए जिसके कारण सरकार का भी उन की और ध्यान गया लेकिन उन्हें रेलवे में टिकट निरीक्षक के पद पर नौकरी मिल गई।
अधिकारियों ने नहीं दिया साथ
जिस खेल ने भावना जाट के जीवन को गरीबी से निकाल कर एक मध्यम वर्ग में लाकर खड़ा कर दिया उसे आखिर भावना कैसे छोड़ सकती थी। भावना जाट ने अपना खेल जारी रखा इसी दौरान ओलंपिक के लिए क्वालिफाई प्रतियोगिता की तारीख आ गई जिसके लिए भावना जाट ने अपने अधिकारियों से तैयारी के लिए वक्त मांगा लेकिन प्रशासन की यहां पर बेरूखी दिखी। अफसरों ने भावना जाट को छुट्टी देने से मना कर दिया। लेकिन भावना ने नौकरी के साथ सख्त मेहनत और लगन के साथ अपनी तैयारी की जिसके कारण उन्हें ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया।
सच कहें तो यह केवल भावना जाट की ही जीत है इसमें किसी का योगदान नहीं है भले ही आज अधिकारी उन्हें बधाई दे रहें हो लेकिन हकीकत में आज भी भावना जाट तीन महीने से विउआउट पे रहकर ओलंपिक के लिए तैयारी कर रही है। कहीं से उन्हें सहायता नहीं मिल रही हैं। अगर भावना जाट ओलंपिक में कोई पदक लाने में कामयाब हो जाती है तो सरकार उन्हें करोड़ों रुपए ईनाम देंगी लेकिन जीत के बाद क्या उन रुपयों का कोई महत्व रह जाता है शायद नहीं । कहते है ना पैसा तो वह होता है जो वक्त पर काम आ जाता हैं। जाट परिवार की ओर से हम जाट भावना को बधाई देते हैं। और जाट समाज और से उनकी जीत की कामना करते हैं।
- भावना ने 2010 से 2014 तक 4 साल तक स्कूल स्तर की नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया.
- उसके बाद 2014 में जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता. जो उसका जिंदगी का पहला पदक था. वहां भावना को पंजाब के कोच हरप्रीत ने प्रशिक्षण दिया था.
- 2014-15 में हैदराबाद में हुई जूनियर फेडरेशन में सिल्वर पदक प्राप्त किया.
- 2016 में जयपुर में आयोजित पैदल चाल की 10 किलोमीटर प्रतियोगिता में सिल्वर पदक जीता. 2018 में लखनऊ में आयोजित आल इंडिया रेलवे में कास्य पदक जीता.
- 2019 में पुणे में आयोजित 20 किलोमीटर पैदल चाल प्रतियोगिता में में स्वर्ण पदक, जो कि भावना जाट का सबसे पहला स्वर्ण पदक था. 2019 में झारखंड की राजधानी रांची में हुए ओपन नेशनल हुआ, जिसमे भावना ने फिर स्वर्ण पदक जीता.
- फरवरी 2020 में रांची में तीसरी पैदल चाल राष्ट्रिय प्रतियोगिता में भावना ने न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि अपना नया रिकॉर्ड बनाते हुए ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई भी किया.