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जाट आरक्षण नहीं तो वोट नहीं: यशपाल मलिक


मेरठ, सुरेन्द्र सिंह। तीन कृषि कानून पर प्रधानमंत्री मोदी के यूटर्न पर देश में अन्य आंदोलनकारियों में एक नई आशा जगी है। जिसका ताजा उदाहरण जाट आरक्षण की सुलगती आग में दिखाई दिया है। जाट आरक्षण की आग एक बार फिर दोबारा सुलगने लगी है। लेकिन इस बार इसकी आंच सड़क पर नहीं दिखाई देगी बल्कि इस बार वोट पर चोट होगी।

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क्या कहा जाट आरक्षण पर यशपाल मलिक ने

इस बार जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने जाट आरक्षण आंदोनल के संबंध में घोषणा करते हुए कहा है कि सरकार जाटों को किसी भी प्रकार से कमजोर ना समझे और इस बात का ध्यान रखें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 125 विधानसभा सीट के साथ ही उत्तराखंड की 15 तथा पंजाब की 100 से अधिक सीट पर जाटों का प्रभाव है।

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अगले साल जाट प्रभाव वाले तीन राज्यों में है चुनाव

उन्होंने कहा कि अगले साल जाटों के प्रभाव वाले इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव है तथा इन चुनावों में जाटों का वोट उसी दल को जाएगा जो उन्हें आरक्षण देगा। मलिक ने कहा कि सरकार ने 2015 और 2017 में आरक्षण का वादा किया था जो पूरा किया जाना चाहिए।

केन्द्र सरकार ने जाट समाज से किया था वादा

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जाट समाज के प्रमुख संगठनों, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की उपस्थिति में केंद्रीय स्तर पर जाट आरक्षण का वादा किया था और 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के आवास पर आरक्षण का भरोसा दिया गया था। मलिक ने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी जाट समाज से वादे किए गए।

सड़कों पर नहीं वोट के साथ होगी आरक्षण की लड़ाई

मलिक ने कहा कि इस बार जाट समुदाय आरक्षण की लड़ाई सड़कों पर नहीं, अपने वोट के निर्णय से करेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में 25 नवंबर को मुरादाबाद मंडल की बैठक होगी और फिर अलीगढ़, आगरा तथा अन्य मंडलों की बैठक होगी और एक दिसंबर को राजा महेंद्र प्रताप की जयंती के दिन से जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा, जाट ख़ुद को ठगा सा महसूस कर रहा है, उसके वोट से भाजपा ने केंद्र और फिर उत्तर प्रदेश में कुर्सी तो हासिल कर ली लेकिन उसे उसका हक़ नहीं दिया गया।

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